सौंफ के स्वास्थ्य संबंधित लाभ प्रयोग व नुकसान

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सौंफ के स्वास्थ्य संबंधित लाभ प्रयोग व नुकसान
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सौंफ एक तरह का बीज है जिसकी सुगंध और स्वाद दोनों ही अनोखे हैं। इसके कई स्वास्थ सम्बंधित लाभ हैं. इसमें कई तरह के विटामिन और मिनिरल मौजूद हैं। इसके प्रयोग से अपच, डायरिया और विभिन्न तरह के स्वांस सम्बंधित रोगों में लाभ पाया जा सकता है। इसके अलावा यह आँख की परेशानी और स्त्रियों के मासिक चक्र के संतुलन में भी बहुत सहायक है। ऐसा देखा जाता है कि भारत में लोग खाना खाने के बाद ज़रा सा सौंफ ज़रूर खाते हैं। इसकी वजह ये है कि ये एक माउथफ्रेशनर का काम करता है और वहीँ दूसरी तरफ ये पाचन में सहायक होता है। कई बार इसके प्रयोग से मसूढ़े सम्बंधित समस्याओं का भी निदान हो जाता है।

सौंफ के लाभ एवं प्रयोग

1. जठरशोथ (पेट की सूजन)

सौंफ पेट की सूजन के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता हैं। सौंफ बीज चूर्ण आमतौर पर जठरशोथ लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है। यह गैस्ट्रिक एसिड के स्राव विनियमित करता है और श्लैष्मिक कला के शोथ को कम करता है।

आयुर्वेद के अनुसार, वास्तव में यह पित्त  के तीक्षण गुण को कम करता है आमाशय कला का शोथ कम होता है और जठरशोथ से और पेट दर्द से राहत मिलती है। इसलिए इसका काम आमाशय कला पर होता है और भूख को कम करने की बजाय यह भूख को बढानें में सहायक होता है। यह पेट की सूजन, अपच, जलन, भूख में कमी आदि रोगों में उपचार में उत्तम औषधि है।

जठरशोथ में अछे परिणाम के लिए, सौंफ का प्रयोग आमला चूर्ण, मुलेठी चूर्ण और धनिया बीज चूर्ण के साथ किया जा सकता है। इन सभी जड़ी बूटियों को बराबर अनुपात में मिलाया जाना चाहिए। खुराक भोजन के बीच में दिन में दो बार 1 चम्मच है।

2. अपचन, अमलपित्त, खट्टी डकार, गैस

अपचन, अल्सर, अमलपित्त, खट्टी डकार, गैस और अन्य रोगों के उपचार के लिए सौंफ का प्रयोग उत्तम माना जाता है। यह पेट में तेजाब के स्राव विनियमित करता है, उसकी तीक्ष्णता कम करता है, आमाशय शोथ को दूर करता है, और आमाशय दर्द को दूर करता है

3. मतली और उल्टी

सौंफ के वमनरोधी (छदिनिग्रहण) होने के कारण मतली और उल्टी के इलाज में मदद करता है। यह गैस्ट्रिक स्राव को विनियमित कर अम्लीय स्वाद और मुंह के खट्टा स्वाद को कम करने में मदद करता है।

4.अत्यधिक प्यास

इलायची बीज के सामान सौंफ भी तृषणा निग्रहण (प्यास को कम करता है) गुण है जिसके कारण यह अत्यधिक प्यास को कम करने के लिए फायदेमंद होते हैं। अत्यधिक प्यास को कम करने के लिए, इसके बीज चूर्ण को शक्कर या मिस्री में मिलाकर प्रयोग में लिया जाता है। प्यास कम करने के लिए सौंफ अर्क, सौंफ के पानी या सौंफ की चाय बनाकर भी प्रयोग किया जा सकता है।

5. वजन घटना

सौंफ चयापचय क्रिया बढ़ाने में सहायक हैं। सौंफ वसा चयापचय को बढ़ा देता है और अतिरिक्त चर्बी संचय से बचाता है। यह वजन कम करने में मदद करता है।

हालांकि, कुछ लोग सौंफ को भूख मारक  या भूख कम करने वाला बताते है जो कि असल में गलत है। आयुर्वेद के अनुसार, सौंफ भूख को कम नही करता या दबाता नहीं है बल्कि यह भूख को सामान्य कर पाचन क्रिया में सुधार लाता है। यदि आप को भूख कम लगती है तो इसके प्रयोग से आपकी भूख में वृद्धि होगी।

दरअसल, यह आपकी भूख को प्राकृतिक रूप में रखता है जैसा कि यह होना चाहिए और आपको भूख पर अच्छा नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करता है।

यदि आप को भूख कम लगती है, तो यह गैस्ट्रिक स्राव को व्यवस्थित करने और जिगर कार्यों को सुधारने में मदद करता है और अंततः आपकी भूख को सामान्य बनाता है। यह अति गैस्ट्रिक स्राव को भी बेअसर करता है और पेट का तेजाब कम करने में मदद करता है।

यदि आप को भूख ज्यादा लगती हो और भोजन में लालसा अधिक हो, तो यह भूख को सामान्य करने में भी मदद कर सकती है और भोजन के स्वाभाविक नियंत्रण में सुधार कर सकती है। बहुत से लोगों ने सौंफ़ के बीज का उपयोग करने के बाद भोजन लालसा पर अच्छा नियंत्रण हो जाने की सूचना दी है। पर यह भी देखा गया है की उनकी सौंफ खाने के प्रति लालसा बढ जाती है।

सौंफ चयापचय क्रिया को बढाता है और वसा की उपयोगिता को सुधारने का काम करता है जिससे यह वजन कम करने में सहायक सिद्ध होता है। मोटापे में इसका प्रयोग करने से संचित वसा कम होता है और उसकी उपयोगता सुधरने लगती है। आयुर्वेद अनुसार यह धातुओं की अग्नि को भी बढाता है जिससे सभी धातुए सामान्य रहती है और संचित वसा को जलाने के लिए प्रेरित करता है।

6. सामान्य जुखाम

सौंफ़ ठंड को समाप्त करती है। सौंफ़ के बीज में अल्फा-पिनन (alpha-pinene) और क्रेओसॉल (creosol) होते हैं, जो सीने की जकडन को काम करता है, और खांसी ठीक करता है।

7. ब्रोंकाइटिस और अस्थमा

उबले हुए सौंफ बीज और पत्तियों को सूंघने से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में राहत मिलती है।

8. गले में खराश

सौंफ़ बीज ग्रसनीशोथ और गले में खराश या साइनस की समस्याओं के लिए अच्छे होते है।

9. स्तन का दूध बढ़ाता है

सौंफ़ बीज स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध के उत्पादन में सुधार करने में मदद करता है।

10. शिशुओं में सौंफ बीज

सौंफ़ बीज पेट और आंतों के विकारों में राहत देने में मदद करता है। शिशुओं में सौंफ़ का तेल उदरशूल से मुक्त करता है।

11. साँप का काटना

साँप के काटने में सौंफ का पाउडर पुल्टिस की तरह प्रयोग किया जाता है।

12. तापघात

तापघात (Heat stroke) के मामले में, रात भर पानी में मुट्ठी भर सौंफ को भिगो दें। सुबह नमक की एक चुटकी के साथ इस पानी को लें।

13. उम्र बढ़ने और कैंसर को रोकता है

सौंफ़ में कुएर्स्टिन (quercetin) और कैम्प्फेरोल  (kaempferol) जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। ये एंटी ऑक्सीडेंट शरीर में जहरीले कणों को हटाते हैं और कैंसर, अन्य रोगों और उम्र बढ़ने को रोकते हैं। शरीर की त्वचा एक व्यक्ति की उम्र बताती है। सौंफ़ बीज में उपस्थित एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा को साफ़ और युवा रखने में मदद करते हैं।

14. पाचन में मदद करता है

सौंफ़ बीज आहार फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है। हमारे शरीर को पेट के बेहतर कार्य के लिए अघुलनशील फाइबर की आवश्यकता होती है। यह कब्ज नहीं होने देता और यदि कब्ज हुई हो, तो यह कब्ज के इलाज के लिए भी एक उत्तम औषधि है।

फाइबर पित्त लवण से बंधते हैं और इसे प्रणाली में अवशोषित होने से रोकते हैं। कोलेस्ट्रॉल द्वारा निर्मित पित्त लवण शरीर के लिए हानिकारक होते हैं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं। सौंफ़ का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है। यह एक वमन विरोधी, पेट साफ़ करने वाली और यकृत विकार दूर करने वाली जड़ी बूटी है।

15. खनिज, विटामिन और तेल का अच्छा स्रोत

यह लोहा, कॉपर, पोटेशियम, मैंगनीज, जिंक, मैग्नीशियम और सेलेनियम का अच्छा स्रोत है। मानव शरीर के उचित कामकाज के लिए इन सभी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

सौंफ़ विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिनों का भंडार है। यह सभी विटामिन इन बीजों में संकेन्द्रित रूप में होते हैं। इसमें आवश्यक तेल होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभप्रद हैं। यह तेल वायुनाशी गुण के होते हैं और पेट के बेहतर कामकाज में मदद करते हैं। सौंफ़ का तेल मांसपेशियों के दर्द में राहत देता है। इसलिए, विशेष रूप से आयुर्वेद में इसका उपयोग मालिश मिश्रणों में किया जाता है। यह नसों को शान्त करता है और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है।

16. शीतलक के रूप में कार्य करता है

सौंफ़ के बीज में गुण होते हैं, जो शरीर को ठंडक पहुँचाते हैं। आम तौर पर लोग झुलसा देने वाली गर्मी के दौरान गर्मी से राहत पाने के लिए सौंफ बीज पेय का सेवन करते हैं।

17. सौंफ़ तेल मालिश

सौंफ़ तेल को मसाज तेल मिश्रण में प्रयोग करने से शरीर का  शोधन करने में मदद मिलती है। इस मालिश के कारण, शरीर में विषैले पदार्थ कम हो जाते हैं जो की गठिया, प्रतिरोधक क्षमता विकार और एलर्जी जैसी स्थितियों को पैदा करते हैं।


सौंफ के दुष्प्रभाव

यदि सौंफ का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा (खुराक) में किया जाए तो सौंफ के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते।

अधिक मात्रा में सौंफ सूरज की रोशनी के लिए त्वचा की संवेदनशीलता को बढ़ा सकती है और त्वचा संवेदनशीलता में वृद्धि होने के कारण  सूर्यदाह होने की संभावना बढ़ सकती है।

कम मात्रा में सौंफ़ का उपयोग खाना पकाने में सुरक्षित है। कई घरेलू उपचारों में सौंफ़ के बीज का उपयोग किया जाता है, लेकिन कोई शोध उपलब्ध नहीं है, जो यह सिद्ध करे कि सौंफ बीज औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किये जाने पर वयस्क या बच्चों के लिए सुरक्षित है।

लोगों को इसे लेने से पहले अपने चिकित्सक से पूछ लेना चाहिए क्योंकि दवाइयों के रूप में इसका उपयोग करने से कुछ लोगों को एलर्जी हो सकती है।

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