हल्दी का उपयोग व औषधीय गुण

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भारतीय मसालों में हल्दी (Haldi) का एक अलग ही महत्व है। यही कारण है कि आपको हर घर की रसोई में हल्दी ज़रूर मिलेगी। हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है साथ ही यह कई तरह के रोगों से भी रक्षा करती है। प्राचीन काल से ही हल्दी को जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुर्वेद में हल्दी के फायदे के बारे में विस्तृत उल्लेख है।

इस लेख में हम आपको हल्दी के फायदे, नुकसान और गुणों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

1) हल्दी क्या है और इसका उत्पादन कैसे होता है?

हल्दी भारतीय रसोई का मसाले के रूप में एक अभिन्न अंग है तथा भारतीय परंपरा में इसे शुभ शकुन का सूचक भी माना  जाता है। हल्दी बिहार की प्रमुख मसाला फसल है जहाँ क्षेत्रफल एवं उत्पादन में इसका भारत में प्रथम स्थान है। हल्दी के अनेकों औषधीय गुण है जिसके कारण इसका उपयोग दवा के रूप में एवं सौन्दर्य प्रसाधनों के तौर पर भी होता है।

हल्दी की खेती करने के लिए गर्म वातावरण की आवश्यकता होती अतः इसकी खेती उष्ण और उप – शीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है लेकिन इसको पकने अर्थात हल्दी की गांठों के निर्माण के लिए शीत वातावरण की आवश्यकता होती है। इसलिए हल्दी शीत ऋतु में फलित होकर मार्केट में टी है।     

2) हल्दी के औषधीय गुण क्या है?

हल्दी के औषधीय रूप से गुणों की खान है। हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-ट्यूमर, एंटी-सेप्टिक, एंटी-वायरल, कार्डियो-प्रोटेक्टिव (हृदय को स्वस्थ रखने वाला गुण), हेपटो-प्रोटेक्टिव (लिवर स्वस्थ रखने वाला गुण) और नेफ्रो-प्रोटेक्टिव (किडनी स्वस्थ रखने वाला गुण) गुण मुख्य हैं। इन सभी गुणों के कारण हल्दी का उपयोग शरीर के लिए प्रकार लाभदायक होता है।

3) हल्दी में पाए जाने वाले पोषक तत्व कौन से हैं?

हल्दी में  प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कॉपर, जिंक, फास्फोरस जैसे मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। हल्दी में विटामिन बी-6, सी, ई और विटामिन के जैसे कई विटामिंस पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं और कई बीमारियों से आपकी सुरक्षा कर सकते हैं। 

 

4) हल्दी के अन्य नाम दूसरी भाषा में

हल्दी भारत की पारंपरिक वनस्पति है। हल्दी को प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। भारत के औषधीय  ग्रंथों में इसे हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम, हल्दी आदि नामों से जाना जाता है।

हल्दी का लैटि‍न भाषा में नाम करकुमा लौंगा (Curcuma longa) अंग्रेजी में नाम टरमरि‍क (Turmeric) तथा प्रजाति के आधार पर पारि‍वारि‍क नाम जि‍न्‍जि‍बरऐसे है।

5) घरेलु उपचार में हल्दी का उपयोग

इसके साथ ही हल्दी के अन्य नुस्खे निम्न हैं-

  • हल्दी के साथ  खाने वाला चूना और शहद का लेप  बना कर इसे मोच, ऐंठन, चोट  या शरीर में आई सूजन वाली जगह पर लगाने से शीघ्र आराम मिलता है।

  • हल्दी और काली मिर्च के धुएं  को सूंघने से एनीमिया, पीलिया, बवासीर,सांस के रोगों में तथा लगातार हिचकी आने की स्थिति में आराम मिलता है।

  • स्किन के रोगों में एक चम्मच कच्ची हल्दी और एक चम्मच आंवले के रस को पानी के साथ लेने से फायदा होता है।

  • खुजली, दाद या त्वचा पर चकत्ते पड़ जाने पर हल्दी और गौ मूत्र को  मिलाकर इसका लेप लगाने से समस्या में लाभ होता है।

  • हल्दी, नीबू, पुदीना, तुलसी और अदरक को आपस में मिलाकर इसके पेस्ट का नियमित सेवन पतला होने में मदद करता है।

  • हल्दी को भूनकर आधा चम्मच शहद या देसी घी के साथ खाने से खांसी में लाभ होता है।

  • हल्दी पाउडर या हल्दी की गांठ को चूल्हे पर गर्म करइसके धुएं को सूंघें, जुकाम की समस्या में आराम मिलेगा।

  • सिरदर्द होने या चक्कर आने की स्थिति में  सिर पर हल्दी का लेप लगाने से लाभ होता होता आराम मिलता है ।

6) हल्दी का बीमारियों में उपयोग

  • नजले-जुकाम की  परेशानी में - नजले, जुकाम, खांसी की समस्या में गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से ये रोग मिटने के आसार बन जाता है।

  • पेट की समस्याओं में - रोज सुबह खाली पेट गुनगुने दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करने से पेट के रोग आदि से निजात  पा सकते हैं।

  • रक्त को शुद्ध करने में - हल्दी में एंटी-ओक्सिडेंट तत्व पाए जाते है जो शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर करके खून को साफ करने में मदद करती है

  • एंटी सेप्टिक के रूप में - हल्दी एंटी-सेप्टिक गुणों से युक्त होती है और अगर चोट लगने पर खून का बहना रोकना हो तो इसके लिए भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है। 

  • स्त्रियों के लिए - महिलाओं में होने वाले श्वेत प्रदर या ल्युकोरिया जैसे रोगों में हल्दी और अंजीर का सेवन गुणकारी औषधि है। 

  • पायरिया में - हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर उसकी मसूड़ों पर मालिश करने से पायरिया में आराम मिलता है।

  • मधुमेह से बचने में - हल्दी में एंटी-डायबेटिक गुण पाए जाते है जो मधुमेह से बचने में सहायक होता है।

  • पाचन शक्ति मज़बूत करने में - हल्दी में पाए जाने वाले मिनरल्स पाचन शक्ति को मज़बूत बनाकर शरीर को सुदृढ़ बनाते हैं।

  • लीवर - हल्दी में पाए जाने वाले एंटी-ओक्सिडेंट तत्व लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

  • अवसाद में - हल्दी में पाए जाने वाले गुण टेंशन की स्थिति को समाप्त करने में मदद करते है तथा शरीर के तंत्रिका तंत्र को अधिक सक्रीय बनाते हैं।

  • इम्युनिटी बढाने में - यह हल्दी का सबसे महत्वपूर्ण गुण है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत बनाता है इसके लिए हल्दी का नियमित दूध के साथ सेवन करें।  

7) हल्दी को दैनिक जीवन में कैसे उपयोग करना चाहिए?

हल्दी को दैनिक जीवन में मसालों की भाती तो प्रयोग में लिया ही जाता है तथा इसके साथ हल्दी को दूध में मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।कच्ची हल्दी की सब्जी बनाकर उसका सेवन किया जा सकता है। हल्दी को शहद के साथ तथा काढ़े में डालकर उपयोग किया जा सकता है।

8) हल्दी के नुकसान क्या हैं?


  • पथरी की समस्या वाले को- हल्दी में पाए जाने वाले तत्वों के कारण इसके अधिक सेवन से पथरी की समस्या वाले लोगों को अधिक परेशानी हो सकती है अतः उनको इसका सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए।

  • डायबिटीज से पीडित लोगों को - जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें हल्दी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। डायबिटीज के रोगियों को ब्लड शुगर को कंट्रोल करने वाली दवाएं दी जाती हैं। उन्हें चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए।

  • नाक से खून आने की समस्या वाले लोग - हल्दी खून को पतला करती है तथा इससें रक्त का थक्का जमने में समय लगता है इसलिए हल्दी का सेवन काफी कम मात्रा में करना चाहिए।

  • पीलिया के रोगी - पीलिया यानि जौंडिस से पीड़ित लोगों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए तथा चिकित्सक की सलाह का पालन करना चाहिए।

औषधीय गुणों से भरपूर हल्दी हमारे नियमित भोजन का अंग इसलिए ही है, ताकि हमारी रोगों से लड़ने को क्षमता बढ़ी रहे। कई सारे गुणों से युक्त होने के बावजूद भी कुछ बीमारियों में इसका सेवन सावधानी पूर्वक करना चाहिए। अधिक सेवन नुकसान भी कर सकता है।

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