नॉर्मल डिलीवरी में सहायक होते है, ये योगासन

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Women's Health and Pregnancy

आज के समय हमारी जीवनशैली में गलत खानपान की आदतों के वजह से महिलाओं में नार्मल डिलीवरी नहीं होना आम बात सी हो गई। प्रेग्नेंट महिलाओ के शरीर के अन्‍दर ऐसे बदलाव आ रहें है जिन्‍हे सह पाना मुश्किल होता जा रहा है और जिससे उन्‍हें रिकवर होने काफी समय लग जाता है। इन सभी परेशानियों से निकलने के लिए योगासन एक अच्‍छा उपाय साबित हो सकता है। योगासन करने से आप तथा आपका बच्‍चा दोनों स्‍वस्‍थ होने के साथ- साथ आपकों कई परेशानियों से बचाता है। योगासन करनें से प्रेग्नेंसी मे होने वाला असहनीय दर्द काफी हद तक कम करता है। हम आपकों योग कें कुछ ऐसे आसन बतातें है जिससे आप नार्मल डिलीवरी में आराम पा सकतें है। 

वक्रासन:-


यह आसन करनें के लिए आप दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाए। दोनों हाथ बगल में रखे तथा कमर सीधी और निगाह सामने रखें। दाएँ पैर को घुटने से मोड़कर लाएं और ठीक बाएँ पैर के घुटने की सीध में रखते हैं, उसके बाद दाएँ हाथ को पीछे ले जाते हैं, जिसे मेरुदंड के समांतर रखते हैं। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद अब बाएँ पैर को घुटने से मोड़कर यह आसन करें। इसके बाद बाएँ हाथ को दाहिने पैर के घुटने के ऊपर से क्रॉस करके जमीन के ऊपर रखें। इसके बाद गर्दन को धीरे-धीरे पीछे की ओर ले जाकर ज्यादा से ज्यादा पीछे की ओर देखने की कोशिश करते हैं।

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कोणासन :-


यह आसन करनें के लिए सबसें पहलें आप सीधा खडें हो जाइयें और अपनें पैरों कें बीच में कम से कम 2 फीट का अंतर रखियें। अपनें दोनों हाथों को बगल में रखियें। साँस कों अंदर लेते हुए अपनें बाएं हाथ को धीरें-धीरें ऊपर की तरफ उठाएं इसकें बाद साँस कों छोडतें हुए अपनी रीढ़ की दाहिनी तरफ हड्डी को झुकाऐं। श्रोणि कों बाएं तरफ लें जाएं और थोडा झुकाएं तथा अपना बायां हाथ को ऊपर की ओर सीधा रखें। अब अपना बाऐ हाथ हथेलियों को देखने के लिए अपना सिर को घुमाये तथा अपनें कोहनियों को सीधा रखे। साँस कों लेते वापस अपनें शरीर सीधा करे और साँस को छोडतें हुए अपना बायां हाथ को नीचे ले आए।

भद्रासन :-


भद्रासन के लिए नीचे दरी या चटाई बिछाकर उस पर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर नितम्ब (हिप्स) के नीचे रखें। फिर बाएं पैर को भी घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर नितम्ब (हिप्प) के नीचे रखें। घुटनों को आपस में मिलाकर जमीन से सटाकर रखें तथा पंजे को नीचे व एड़ियों को ऊपर नितम्ब से सटाकर रखें। अब अपने पूरे शरीर का भार पंजे व एड़ियों पर डालकर बैठ जाएं। इसके बाद अपने दाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें तथा बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें। अब जालन्धर बंध लगाएं अर्थात सांस को अंदर खींच कर सिर को आगे झुकाकर कंठ मूल से सटाकर रखें और कंधे को ऊपर खींचते हुए आगे की ओर करें। अब नाक के अगले भाग को देखते हुए भद्रासन का अभ्यास करें। इस सामान्य स्थिति में जब तक रहना सम्भव हो रहें और फिर जालन्धर बंध हटाकर सिर को ऊपर करके सांस बाहर छोड़ें। पुन: सांस को अंदर खींचकर जालन्धर बंध लगाएं और भद्रासन का अभ्यास करें।

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अनुलोम-विलोम :-


य‍ह आसन करने के लिए सबसे पहलें अपनें दोनों पैरों को मोड़ कर बैठ जाएं। उसके बाद शांति से कुछ मिनटों के लिए उस मुद्रा में रहें। उसके बाद अपने दायें नथुने को अपने दायें हाथ के अंगूठे से आराम से बंद काके अपने बाएं नथुने से धीरे-शीरे जितना साँस ले सकते हैं उतना लें। साँस पूरी तरीके से अपने छाती में भरने के बाद धीरे से अपने बाएं नथुने को अंगूठे से बंद करके धीरे-धीरे दायें नथुने से साँस को छोड़ें। उसके बाद उसी बाएं नथुने से धीरे-धीरे लम्बी साँस लें और बाएं नथुने को बंद करके दायें नथुने से धीरे-धीरे साँस को छोड़ें। इस प्रक्रिया को 7-10 बार दोहोरायें। और प्रतिदिन 2-3 बार करें।

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