सोते समय खर्राटे क्‍यों आते हैं, जानें कारण और उपचार

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सोते समय गले को पीछे का हिस्‍सा थोड़ा संकरा हो जाता है। ऐसे में ऑक्सीजन जब संकरी जगह से अंदर जाती है तो आस-पास के टिशु वायब्रेट होते हैं। और इस वायब्रेशन से होने वाली आवाज को ही खर्राटे कहते हैं। रात को सोते समय रोगी इतनी तेज आवाज निकालता है कि उसके पास सोना बिल्कुल मुश्किल हो जाता है। खर्राटे, जिसमें व्‍यक्ति सोने के बाद नाक से तेज आवाज के साथ सांस लेता और छोड़ता है। क्या आपको खर्राटे की समस्या है क्‍या कभी आप खर्राटे की समस्‍या को लेकर डॉक्‍टर के पास गए हैं? नहीं! अधिकतर लोग खर्राटे को एक साधारण प्रक्रिया समझकर टालते हैं, पर खर्राटे स्लिपिंग डिसऑर्डर का हिस्सा भी हो सकता है। इसलिए खर्राटों से बचने के उपाय करने चाहिए। 

खर्राटे क्‍यों आते हैं 

खर्राटे आने का मुख्य कारण श्वास में रूकावट होता है। श्वसन तंत्र के ऊपरी भाग फेरिंक्स की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं, जिस वजह से सांस भीतर लेने की प्रक्रिया (इंसपीरेशन) में ध्वनि पैदा होती है। ऐसे में अचानक तेज खर्राटे आना इस बात का संकेत होते हैं कि रूकी हुई श्वास दोबारा शुरू हो गई है। रात में सांस में रूकावट के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से प्रमुख कारण अधिक नींद का बार-बार टूटना, अनिद्रा, बिस्तर गीला करना, दिन में उनींदापन, पर्याप्त नींद के बावजूद खुद को तरोताजा महसूस न करना, सिरदर्द, चुस्ती-फुर्ती में गिरावट आदि होते हैं। 


खर्राटे से बचने के उपाय

1. खर्राटे लेने के कई कारण हो सकते हैं जैसे, एलर्जी, नाक की सूजन, जीभ मोटी होना, अधिक धूम्रपान करना, शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करना और रात को अधिक भोजन करना आदि। आइए जाने खर्राटे से बचने के तरीको के बारें में।

2. जिन्हें रात को सोते समय खर्राटे लेने की आदत हो उसे खर्राटे से बचने के लिए रात को सोते समय मन को शांत व मस्तिष्क को बाहरी विचारों से मुक्त रखकर सोना चाहिए।

3. क्‍या आप जानते हैं कि शरीर में पानी की कमी से भी खर्राटे आते है। जब शरीर में पानी की कमी होती है तो नाक के रास्ते की नमी सूख जाती है। ऐसे में साइनस हवा की गति को श्वास तंत्र में पहुंचने के बीच में सहयोग नहीं कर पाता और सांस लेना कठिन हो जाता है। ऐसे में खर्राटे की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। इसलिए सेहतमंद और खर्राटों से दूर रहने के लिए दिनभर भरपूर पानी पीएं

4. अधिकतर मोटे लोग ही खर्राटों की समस्‍या के शिकार होते हैं। गले के आप-पास अधिक वसा युक्त कोशिकाएं जमा होने से गले में सिकुड़न होती है और खर्राटे की ध्वनि निकलती है। तो अगर आप भी खर्राटों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपना वजन कम करने के उपाय करें।

5. पीठ के बल सोना वैसे तो आदर्श तरीका होता है लेकिन इस मुद्रा में सोने से खर्राटों की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में खर्राटों से बचने के लिए आप अगर करवट के बल सोएंगे तो खर्राटों की आशंका कम होगी।

6. धूम्रपान से खर्राटों की संभावना अधिक होती है। धूम्रपान वायुमार्ग की झिल्‍ली में परेशानी पैदा करता है और इससे नाक और गले में हवा पास होना रूक जाती है। इसलिए अगर आपको खर्राटों की समस्‍या हैं तो धूम्रपान छोड़ दें।

7. नींद की गोलियों मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव डालती है। सोने के लिए अगर आप शराब, नींद की गोलियों या अन्‍य दवाईयों का इस्‍तेमाल करते है तो बंद कर देना चाहिए। क्‍योंकि इससे भी खर्राटे आते है।

8. नियमित रूप से एक ही समय पर सोएं। सोते समय अपने शरीर को पूर्ण आराम दें तथा सोते समय ध्यान रखें कि किसी भी अंग पर जोर न पड़ें।

9. जिस तरह से बॉडी की एक्‍सरसाइज करने से सारी मांसपेशियां मजबूत होती है। उसी तरह खर्राटों को कम करने के लिए गले की मांसपेशियों की एक्‍सरसाइज होती है।


योगासन 

अनुलोम विलोम


इसे करने के लिए पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाइये, अपनी आंखों को बंद करके गहरी सांसें लीजिए। सांसे लेते वक्‍त एक नाक को दबाइये, फिर दूसरी नाक को दबाकर सांसों को बाहर कीजिए। सांसों को अंदर लेने के बाद जितनी देर तक आप अपनी सांसों को रोक सकते हैं रोक लीजिए फिर उसे छोडि़ये। इस आसन को करने से नाक की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और सांस लेने के दौरान होने वाली समस्‍या दूर हो जाती है। 

प्राणायाम


प्राणायम करने से कई रोगों का निवारण होता है और शरीर भी फिट रहता है। इसे करने के लिए पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाइए। दोनों हाथ पैर के घुटनों पर होने चाहिए और सिर एकदम सीधा हो। सांसों को अदर की तरफ लीजिए, फिर जितनी देर उसे रोक सकते हैं रोकिये, फिर सांस बाहर निकालिए। सांस लेने की तुलना में सांस को बाहर करते वक्‍त अधिक समय लीजिए। 

भ्रामरी आसन


भ्रामरी आसन के लिए सुखद आसन जैसे पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं। लंबी और गहरी सांस लेते हुए सांस को शांत रखें। उसके बाद दोनों हाथों के अंगूठे से दोनों कानों को बंद कर लें। अपनी अनामिका उंगली कानों में डाल दीजिए। इस आसन को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रखें। लंबी और गहरी सांस लेते हुए फेफड़े पूरी तरह भर लें। कुछ देर के लिए सांस रोकें। इसके बाद भवरें जैसी गुंजन करते हुए लंबी सांस को बाहर निकालें। ऐसा करते समय आवाज लगातार आनी चाहिये। फिर कुछ क्षण के लिए सांस को बाहर ही रोकें। 

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