डेंगू बुखार एक ऐसी खतरनाक बीमारी होती है। जो मच्छरों के काटने से होती है, जिसका समय रहते अगर इलाज नहीं करवाया जाए तो यह व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। डेंगू होने पर व्यक्ति को लगभग एक सप्ताह तक सामान्य बुखार रहता है। परंतु इसका इलाज नहीं किया जाता है तो गंभीर रूप ले लेता है। और यह किसी भी आदमी के लिए मौत का कारण भी बन सकता है। डेंगू के ज्यादातर मामले उष्ण तापमान वाले क्षेत्र में पाए जाते है। यह बीमारी एडिज मच्छर से होती है, जो डेंगू वायरस से संक्रमित होता है।
डेंगू बुखार होने के कारण:
डेंगू मच्छर बारिश के मौसम में बाहयात पाये जाते है। यह मच्छर प्राय: घरो स्कूलों व भवनों में तथा इनके आस – पास एकत्रित खुले पानी एवं कीचड़ में अंडे देते है। इन मच्छरों के शरीर की एक अलग ही पहचान होती है। इनके शरीर पर सफ़ेद और काली पट्टी होती है। यह मच्छर निडर होते है और आज ज्यादातर दिन के समय में ही काटते है। डेंगू एक विषाणु से होने वाली बीमारी से है। जो एडीज नामक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू एक तरह का वायरल बुखार होता है।
क्या आप जानते है की डेंगू बुखार कितने प्रकार की होती है नहीं तो आइये जाने की डेंगू बुखार के बारे में –
मुख्यत: डेंगू बुखार का रोगी तीन प्रकार की अवस्थाओं से ग्रसित हो सकता है।
1. साधारण डेंगू बुखार –
इसमें मरीज को लगभग एक सप्ताह तक सामान्य बुखार रहता है एवं इसके साथ ही निचे दिए गए लक्षणों में से दो या दो से अधिक लक्षण भी साथ में दिखाई दे सकते है|

- अचानक तेज बुखार होना।
- सर में आगे की तरफ तेज दर्द होना।
- आँखों के पीछे दर्द और आँखों की पुतलियों को हिलने से दर्द अधिक होना।
- मांसपेशियों में व जोड़ो में दर्द महसूस होना।
- स्वाद का पता नहीं चलना और न ही भूख लगना।
- छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दाने पड़ना।
- चक्कर आना।
- जी घबराना उल्टी आना।
- शरीर पर रक्त के चकते होना और शरीर में सफेद रक्त कणिकाओं की कमी होना।
- बच्चों में डेंगू बुखार के लक्षण बडो के तुलना में कम दिखाई देते है।
2. रक्त स्त्राव वाला डेंगू बुखार (डेंगू हम्रेजिक फीवर)-
खून बहने वाले डेंगू बुखार के लक्षण और आघात रक्त स्त्राव वाला डेंगू में पाए जाने लक्षणों के अतिरिक्त निम्न लक्षण पाये जाते है।
- शरीर को चमड़ी पिली तथा ठंडी पड़ जाना।
- नाक , मुँह और मसूड़ों से खून बहना।
- प्लेटलेट कोशिकाओं की संख्या एक लाख से कम हो जाना।
- फेफड़ो और पेट में पानी एकत्रित होना।
- स्किन पर घाव पड़ना।
- बेचैनी रहना व लगातार कराहना।
- प्यास ज्यादा लगना।
- खून की उल्टी होना।
- श्वास लेने में तकलीफ होना।
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम –
ऊपर दिए गए लक्षणों के अलावा अगर मरीज में परिसंचार तंत्र में गड़बड़ी होना जैसे लक्षण –

- नब्ज का कमजोर पड़ना या तेजी से चलना।
- रक्तचाप का काम हो जाना व त्वचा का ठंडा पड़ जाना।
- पेट में तेज व लगातार दर्द होना।
- उपर की तीनो परिस्थियों के अनुसार मरीज का आवश्यकतानुसार उपचार प्रारम्भ करें।
- मरीज के खून की सिरोलॉजिकल एवं वायलॉजिकल टेस्ट केवल रोग को सुनिश्चित करता है तथा इनका होना या ना होना मरीज के उपचार में कोई प्रभाव नहीं डालता क्योकि डेंगू एक तरह का वायरल बुखार है इसके लिए कोई खास दवा या वेक्सीन उपलब्ध नहीं होती है।
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उपचार –
1. प्रारम्भिक बुखार की स्थिति में :-
- मरीज को आराम की सलाह दे।
- पैरासिटामोल को गोली उम्र के अनुसार और जब तेज बुखार होने पर ही देवें।
- एस्प्रीन और आइबुप्रोफेन नहीं दे।
- एन्टीबॉटिक नहीं दे क्यों की इससे वे इस बीमारी में व्यर्थ है।
- मरीज को ओ. आर. एस. का गोल पिलायें।
- भूख के अनुसार पर्याप्त भोजन दिया जाएं।
2. साधारणतया डेंगू बुखार के मरीज को ठीक होने के २ दिन में ही जटिलताएं देखी गई है।
प्रत्येक डेंगू बुखार के रोगी को ठीक होने के दो दिने बाद तक निगरानी रखनी चाहिए और डेंगू बुखार से ठीक होने पर मरीज एवं उसके परिजनों को निम्न लक्षणों से उभरने पर विशेष ध्यान देना चाहिए –
- पेट में तेज दर्द।
- काले रंग का मल जाना।
- मसूड़ों व नाक, स्किन से खून निकलना।
- पसीना ज्यादा आना।
- ऐसी स्थिति में मरीज को तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दे।
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीजों को उपचार में हिदायतें :-

ऐसे मरीज को हर घंटे में देखते रहना चाहिए।
खून में प्लेटलेट की कमी होना एवं खून में हिमोटोक्रिट का बढ़ना इस अवस्था की और इंगित करता है।
समय रहते आई वी थैरपी मरीज को शॉक से उभर सकती है।
अगर २० ml /Kh/hr एक घंटे में आईवी के देने पर भी मरीज की दशा में सुधार नहीं होता है। डेक्स्टों या प्लाज्मा दिया जाना चाहिए।
अगर फिर भी मरीज के स्वास्थ्य गिरावट आती है तो ताजा खून दिया जाना चाहिए शॉक में ऑक्सीजन दी जाएं एसिडोसिस सोडा बाइकार्ब दिया जाए।
डेंगू बुखार के बचाव के उपाय :-
- अपने घरो के आस -पास पानी एकत्रित नहीं होने दें।
- घर में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए।
- रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- मच्छर भगाने की दवा का उपयोग करना चाहिए

- रकार के स्तर पर किये जाने वाले कीटनाशक छिड़काव में सहयोग करना चाहिए।
- रोगी को उपचार हेतु तुरंत निकट अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में ले जाएं।
- अपने घरेलू पानी के टंकियों को हमेशा ढककर रखे।
- अपने आस – पास पानी की नालियों में मिटटी के तेल का छिड़काव करना चाहिए।