इन 4 योग आसन से दूर होगा मोटापा, अस्‍थमा और ह्रदय रोग में भी मिलेगा लाभ

KayaWell Icon

Acidity
Asthma
Back Ache
Back pain
Constipation
Gas
Heart Attack (Warning Signs)
Heart Disease
Neck Pain
Obesity
Diet/weight Loss

लोग अपना बढ़ा वजन कम करने के लिए क्या नहीं करते। और भला करें भी क्यों ना, मोटापा न सिर्फ आपके लुक्स को खराब करता है बल्कि तमाम तरह की बीमारियों का कारण भी बनता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे ब्रीदिंग तकनीक हैं, जिनके नियमित अभ्यास से आप मोटापे की समस्या से निजात पा सकते हैं। दरअसल जब हम सांस लेते हैं तो इसके साथ हमारे शरीर के भीतर पहुंचने वाली ऑक्सीजन खून के माध्यम से शरीर की कोशिकाओं को पोषण देती है। ब्रीदिंग का महत्व बर्षों पूर्व से प्राणायाम के रूप में जाना व माना गया है। सही तरह से गहरी सांस लेने और छोड़ने मात्र से ही हमें कई तरह के फायदे होते हैं। जिनमें से एक है मोटापे से मुक्ति। तो चलिये जाने वजन घटाने के लिए किये जाने वाले ब्रीदिंग तकनीक व इन्हें करने की विधि के बारे में। 

(1) कपालभाती प्राणायाम:-


मस्तिष्क के अगले भाग को कपाल कहा जाता है। कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांस को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर धकेलने का प्रयास करें। लेकिन ध्यान रहे कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि इस क्रिया में श्वास खुद ही भीतर चली जाती है। यह प्राणायाम का नियमितच अभ्यास करने से न सिर्फ मोटापे की समस्या दूर होती है बल्कि चेहरे की झुर्रियां और आंखों के नीचे का कालापन दूर होता है और चेहरे की चमक बढ़ाता है। इसके अभ्यास से दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभ होता है। शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक भाव और विचार दूर होते हैं। 

यह भी पढ़े - वजन घटाने के लिए सबसे असरदार 6 योगासन

(2) भस्त्रिका प्राणायाम:-


♦ भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए पद्मासन में बैठकर, दोनों हाथों से दोनों घुटनों को दबाकर रखें। इससे पूरा शरीर (कमर से ऊपर) सीधा बना रहता है। अब मुंह बंद कर दोनों नासापुटों से पूरक-रेचक झटके के साथ जल्दी-जल्दी करें। आप देखेंगे कि श्वास छोड़ते समय हर झटके से नाभि पर थोड़ा दबाव पड़ता है। इस तरह बार-बार इसे तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि थकान न होने लगे। इसके बाद दाएं हाथ से बाएं नासापुट को बंद कर दाएं से ज्यादा से ज्यादा वायु पूरक के रूप में अंदर भरें। आंतरिक कुम्भक करने के बाद धीरे-धीरे श्वास को छोड़ें। यह एक भास्त्रका कुम्भक होता है।

♦ दोबारा करने के लिए पहले ज्यादा से ज्यादा पूरक-रेचक के झटके, फिर दाएं नासा से पूरक, और फिर कुम्भक और फिर बायीं नासा से रेचक करें। इस प्रकार कम से कम तीन-चार बार कुम्भक का अभ्यास करें। लेकिन हृदय रोग, फेंफडे के रोग और किसी भी प्रकार के अन्य गंभीर रोग होने पर में यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।  


(3) अनुलोम–विलोम प्रणायाम:-


अनुलोम–विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहा जाता है। अनुलोम-विलोम को नियमित करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को किसी भी आयु का व्यक्ति कर सकता है।  

कैसे करें:- 

अनुलोम–विलोम प्रणायाम करने के लिए दरी व कंबल बिछाकर उस पर अपनी सुविधानुसार पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं। अब अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करें और नाक के बाएं छिद्र से सांस अंदर भरें और फिर ठीक इसी प्रकार बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से दबा लें। इसके बाद दाहिनी नाक से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर फैंके। इसके बाद दायीं नासिका से ही सांस अंदर लें और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 तक गिनती कर बाहर फैंकें। इस क्रिया को पहले 3 मिनट और फिर समय के साथ बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें। 

यह भी पढ़े - इस तकनीक से ह्रदय और कैंसर का इलाज हुआ आसान, जानें

(4) सूर्य नमस्कार:-


सूर्य नमस्कार एक पूर्ण व्यायाम है। इसे करने से शरीर के सभी हिस्सों की एक्सर्साइज हो जाती है, साथ ही शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी भी आती है। सुबह के समय खुले में उगते सूरज की ओर मुंह करके सूर्य नमस्कार करने से अधिक लाभ होता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और विटामिन डी मिलता है। वजन और मोटापा घटाने में भी सूर्य नमस्कार लाभदायक होता है। सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं जिनका शरीर पर अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ता है।  

कैसे करें:- 

♦ इसे करने के लिए सबसे पहले दोनों हाथ जोड़कर सीधे खड़े हों। फिर सांस को भरते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर कानों से सटाते हुए लाएं और शरीर को पीछे की ओर स्ट्रेच करें। अब सांस को बाहर छोड़ते हुए तथा हाथों को सीधे रखते हुए आगे की ओर झुकें और अपने हाथों को पैरों के दांये-बांये जमीन से छुलाएं। लेकिन ध्यान रखें कि इसे करते समय घुटने सीधे ही रहें। अब सांस भरते हुए सीधे पैर को पीछे ले जाएं और गर्दन को भी पीछे की ओर झुकाएं। कुछ समय तक इस स्थिति में रुकें और फिर सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए उल्टे पैर को भी पीछे ले जाएं व दोनों पैर की एड़ियों को मिलाकर शरीर को पीछे की ओर स्ट्रेच करें। 

♦ इसके बाद सांस भरते हुए नीचे आएं और फिर लेट जाएं। इसके बाद शरीर के ऊपरी भाग को उठाएं और गर्दन को पीछे की ओर लाते हुए पूरे शरीर को पीछे की ओर स्ट्रेच करें व कुछ सेकंड तक इस स्थिति में रुके रहें। और फिर पीठ को ऊपर उठाएं और सिर को झुका लें और एड़ी को जमीन से लगाएं। दोबारा चौथी वाली प्रक्रिया को अपनाएं लेकिन इस बार दांएं पैर को आगे लाएं व गर्दन को पीछे की ओर झुकाते हुए स्ट्रेच करें।

♦ अब बांये पैर को वापस लाएं और दाएं के बराबर में रखते हुए तीसरी स्थिति में आएं अर्थात घुटनों को सीधे रखते हुए हाथों से पैरों के दाएं-बाएं जमीन से छुलाएं। इसके बाद सांस भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाकर खडे हों और पीछे की ओर स्ट्रेच करते हुए फिर दूसरी स्थित में आ जाएं। और फिर से पहली वाली स्थिति में आएं। शुरुआत में 4 से 5 बार करना शुरु कर धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 12 से 15 बार तक ले जाएं।


;