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मोटापा कम करने का साधारण उपाय

KayaWell Expert
  1/16/2019 12:00:00 AM

शरीर के हर हिस्से में फैट (वसा) होता है। फैट सबसे पहले कमर वाले हिस्से (ग्लूटियल रीजन) में जमा होता है जबकि चेहरे पर सबसे बाद में दिखता है। चेहरे का फैट जल्दी खत्म होता है वहीं सबसे बाद में कमर का फैट बर्न होता है। वसा पेट के निचले हिस्से, जांघ व स्किन के नीचे लाइपोमा के रूप में जमा होती है। हाथों का मूवमेंट अधिक होने से वहां सबसे कम चर्बी जमती है। पैंक्रियाज व लिवर में अधिक फैट की वजह गरिष्ठ व तला-भुना भोजन होता है।

इसलिए खतरनाक है अंदरुनी फैट:-

लिवर व पैंक्रियाज में जमा होने वाले फैट को विसरल फैट (अंदरुनी/ अदृश्य वसा) कहते हैं जो भारतीयों में अधिक होता है। इससे अधिकतर समस्याएं होती हैं। यह शरीर में पेट के आसपास होता है, जिससे भोजन के पचकर ऊर्जा में बदलने की गति धीमी हो जाती है। हार्मोन में गड़बड़ी होने लगती है। शरीर में एस्ट्रोजन, कॉर्टिसोल और इंसुलिन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर, हड्डियों की कमजोरी आदि बीमारियां होने लगती हैं। फैट दिमाग व त्वचा के लिए जरूरी है। बच्चों की अच्छी ग्रोथ के लिए भी फैट जरूरी है।

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फैट के प्रकार:-

 सबक्युटेनियस फैट (अंदरूनी वसा) त्वचा के नीचे वाली हिस्से में जमा होता है जिसे ट्राइग्लिसाइड फैट भी कहते हैं। यह कम नुकसानदायक होता है। जबकि विसरल (कोलेस्ट्रॉल) फैट अधिक नुकसानदायक होता है क्योंकि शरीर पर यही मोटापे की परत बढ़ाता है। 

  बर्न हो कहां जाता है फैट:-

डाइट में कार्बोहाइड्रेट या प्रोटीन की अधिकता होने पर ट्राइग्लिसराइड्स में बदलता है जो लिपिड ड्रॉपलेट्स के रूप में जमा हो जाता है। फैट बर्न होकर बायोप्रोडक्ट्स (कार्बन डाइऑक्साइड) के रूप में शरीर से बाहर निकलता है। इसका अधिक हिस्सा एनर्जी में बदल जाता है।

इन बातों का ध्यान रखने से नहीं बढ़ेगा मोटापा:-

खाना खाने का तरीका और खाने का समय भी मोटापे से जुड़ा हुआ है। फैट उनमें तेजी से बढ़ता है जो जल्दबाजी में बिना चबाएं और असमय डाइट लेते हैं। हैल्दी डाइट और कम व्यायाम से हार्मोनल बदलाव भी मोटापे की वजह हो सकते हैं। यदि अधिक वजन है तो एक टाइम भोजन (डिनर) में केवल फल-सब्जियां ही खाएं तो वजन कम होगा लेकिन पेट खाली न रखें। अनाज से पूरा पेट न भरें। भोजन से पहले सलाद खाना अच्छा रहता है। रात में सात बजे के बाद अनाज खाना बंद कर दें ताकि भोजन को पचने का समय मिल सके। इससे मेटाबॉलिज्म सही रहेगा. शराब, डिब्बाबंद जूस व गैस वाले पेय पदार्थ, नॉनवेज और प्रोसेस्ड फूड अधिक लेने से वजन बढ़ता है।

आयुर्वेद के अनुसार खानपान:-

आयुर्वेद में मोटापे को स्थौल्य या मेदो रोग के नाम से जानते हैं। इससे बचने के लिए गरु (हैवी) और अपतपर्ण (लो कैलोरी) भोजन करना चाहिए। हैवी फूड से पेट भरा रहता है और लो कैलोरी से वजन नहीं बढ़ता। वजनी लोग फल, सलाद और मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा आदि) खाएं। मीठे और चिकनाई वाली चीजों से परहेज करें। अच्छी दिनचर्या का पालन करें। 

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मददगार योगासन:-

♦ वजन कम करने के लिए भस्त्रिका और कलापभाति प्राणायाम कर सकते हैं। इससे वजन कम होता है। 

♦ कुंज क्रिया (पानी पीकर वमन यानी इसे बाहर निकालने) से भी पेट की चर्बी कम होती है। साथ ही सूर्यनमस्कार, पश्चिमोतापादासन, त्रिकोणासन, उदारकर्षासान, अर्ध हलासन, नौकासन और एक पादचक्रीय आसन करें। इन्हें योग विशेषज्ञ की सलाह से ही करें। 

अर्ध हलासन:- इसमें सीधे लेटने के बाद दोनों पैरों को सांस भरते हुए धीरे-धीरे घुटने से मोड़ते हुए 90 डिग्री पर लाएं। फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए 30 डिग्री पर लेकर आएं। इसी क्रम को 15 से 20 बार दोहराना है। 

नौकासन:- पहले दंडासन की स्थिति में बैठें फिर दोनों पैरों को 45 डिग्री पर रोकें। दोनों हाथों को घुटने के पास सीधा रखें, सांस को बाहर छोड़कर रोकें। पूरे शरीर का भार कमर पर डालकर अधिक समय तक ऐसे ही रोकें। इसका अभ्यास 3-5 बार करें। 

एकपाद चक्रीय आसन:- एक पैर को सांस भरते हुए जितना हो सके उतना बड़ा शून्य बनाएं। इसको 5 बार सीधा और पांच बार उल्टा घुमाएं। इसमें पैर को गोल-गोल घुमाना है। इसे क्षमता के अनुसार रोजाना करें। 


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